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Krantidoot Part 1

Dr. Manish Shrivastava

डॉ मनीष श्रीवास्तव जी द्वारा लिखित और इंडिका के सौजन्य से क्रांतिदूत शृंखला के अंतर्गत 10 किताबों का संकलन प्रकाशित किया जाना है। इस शृंखला में भारत की सशस्त्र क्रांति को एक उपन्यास्मृति या उपन्यास्मरण के रूप में तैयार किया गया है। भारत के सुने-अनसुने, जाने-अनजाने क्रांतिदूतों की यह जीव- गाथा आपको उनके समय में ले जाए, यही लेखक की कोशिश रही है। इस शृंखला को लिखने के दौरान लेखक डॉ मनीष श्रीवास्तव जी की कोशिश रही है कि पाठक भगत सिंह को पढ़े तो उनके तथाकथित नास्तिक या वामपंथी वाले रूप की जगह आपको सिर्फ भगत सिंह दिखायी दें। सान्याल साहब का नाम सिर्फ काकोरी से जुड़ कर ना रह जाए। बिस्मिल साहब आर्यसमाजी भर ही ना दिखें और अशफाक़ मात्र एक मुसलमान क्रांतिदूत की तरह सामने ना आयें।

डॉ. मनीष श्रीवास्तव जिनकी जन्मभूमि झांसी रही है, एक फार्मास्यूटिकल कम्पनी में तीस साल तक कार्य करने के बाद, अब इंडोनेशिया में रहकर पूर्ण रूप से अपने लेखन व्यस्त हैं। उनके दो उपन्यास, रूही- एक पहेली और मैं मुन्ना हूँ प्रकाशित हो चुके हैं। वर्तमान में वो 10 पुस्तकों की श्रृंखला क्रांतिदूत पर कार्य कर रहे हैं। क्रांतिदूत शृंखला के तीन भाग झांसी फाइल्स, काशी और मित्रमेला पाठकों के समक्ष आ चुकी हैं और काफी सराही जा रही है।